उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

पृष्ठभूमि

भारतीय रक्षा उद्योग तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जहां राष्ट्र न केवल रक्षा बाजार के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' योजना के तहत स्वदेशी विनिर्माण को मजबूत करने की ओर भी देख रहा है, जो माननीय प्रधान मंत्री का भी लक्ष्य है। इसके अलावा, भारतीय सशस्त्र सेनाएं दुनिया की दूसरे सबसे बड़े सशस्त्र सेना होने के कारण, देश रक्षा और एयरोस्पेस उपकरणों पर पर्याप्त राशि खर्च करता है। यह 2014-18 के बीच विश्व आयात के 9.5% की हिस्सेदारी के साथ हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। केंद्रीय बजट 2020-21 में रक्षा के लिए लगभग $47.47 बिलियन (रक्षा पेंशन को छोड़कर) आवंटित किया गया है, जिसमें से 1 / 3rd पूंजीगत व्यय के लिए विशेष रूप से आवंटित किया गया है ।

जहां एक ओर देश विदेशी खिलाड़ियों का भारतीय रक्षा बाजार में एफडीआई के माध्यम से प्रवेश करने का स्वागत कर रहा है, क्योंकि वे खरीदे गए रक्षा उपकरणों का 50% से अधिक प्रदान करते हैं, वहीं यह संयुक्त उद्यमों जैसे सहयोग को प्रोत्साहित कर के भारतीय ओईएम के विदेशी निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से साझेदारी, ऑफसेट आदि पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।

उपरोक्त उद्देश्य के साथ, यह निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे, और 2018-19 के केंद्रीय बजट के दौरान इसकी घोषणा की गई थी।

वर्तमान में भारत के तीन फोकस क्षेत्र हैं जिन पर इसका लक्ष्य भारतीय रक्षा बाजार को विकसित करना है:

  • स्वदेशीकरण
  • आत्मनिर्भरता
  • रोजगार का सृजन |

परियोजना का संक्षेप:

मुख्य बिंदु-

  • अंतिम उपयोगकर्ता के साथ सीधे एमएसएमई और स्टार्ट-अप के एकीकरण की सुविधा के लिए भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • रक्षा परीक्षण बुनियादी ढांचे का निर्माण रक्षा मंत्रालय तथा राज्य द्वारा सामान्य सुविधा केंद्र शुरू किया गया |
  • IIT कानपुर और IIT BHU के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE)
  • लखनऊ नोड में ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा नेक्स्ट जनरेशन (ब्रह्मोस-एनजी) मिसाइल परियोजना हेतु योजना बनाई गई।
  • झांसी नोड में भारत डायनेमिक्स द्वारा मिसाइल इकाई स्थापित की जा रही है।

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